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Originally Posted by आकाश महेशपुरी
गीतिका/ ग़ज़ल- देखिये कैसा जमाना...
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देखिये कैसा जमाना आ गया
हर किसी को दिल दुखाना आ गया
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था वहाँ मैं मौत की आगोश में
उनको' लेकिन मुस्कुराना आ गया
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मुझको' तेरी बस इसी तस्वीर से
आजकल है दिल लगाना आ गया
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हर किसी को है पड़ी अपनी मगर
और पर आँसू बहाना आ गया
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आ गया शमशान के नजदीक मैं
यूँ लगा जैसे ठिकाना आ गया
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मैं चला 'आकाश' रब को ढूंढने
पर किसी के काम आना आ गया
गीतिका/ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी
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वकील कुशवाहा "आकाश महेशपुरी"
ग्राम- महेशपुर
पोस्ट- कुबेरनाथ
जनपद- कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
9919080399
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दर्दे दिल की दास्ताँ को बहुत अच्छे से प्रकट करती रचना .. धन्यवाद