Gun Licenses In India
कुछ समय पूर्व अमेरिका के टेक्सास शहर में एक चर्च में हुए गोलीकांड में 26 निर्दोष व्यक्ति मार दिए गए और उससे पहले ऑरलैंडो शहर में एक ऐसी घटना घटी जिसने सारी दुनिया को झकझोर कर रख दिया. 12 जून की रात ऑरलैंडो गे-नाइट क्लब में उमर मतीन नाम के एक व्यक्ति ने अपनी लाइसेंसी बंदूक से पचास लोगों को मौत के घाट उतार दिया और लगभग इतने ही लोगों को घायल कर दिया. इस घटना को अमेरिका में 9/11 के बाद हुई सबसे हिंसक घटना माना जा रहा है.
इस घटना ने सिर्फ अमेरिका को ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों को अपने हथियार संबंधी कानूनों पर पुनर्विचार करने को मजबूर कर दिया है. इनमें भारत भी शामिल है. लेकिन जहां अमेरिका अपनी बंदूक संस्कृति पर नकेल कसने की कोशिश कर रहा है वहीं भारत इस संस्कृति को बढ़ावा देने की ओर बढ़ रहा है.
भारत में ऐसे प्रयास पिछली यूपीए सरकार के दौर से ही चल रहे हैं. साल 2010 और 2011 में कांग्रेस सरकार ने देश के बंदूक संबंधी कानूनों को लचीला करने के लिए संसद में विधेयक भी पेश किये थे. लेकिन दोनों ही बार वह इस विधेयक को पारित करने में असफल रही. अब मौजूदा मोदी सरकार भी इसी दिशा में काम करते हुए एक विधेयक लेकर आई है जो फिलहाल लंबित है.
देश में हथियार संबंधी कानूनों और प्रस्तावित बदलावों को समझने की शुरुआत अमेरिका के संदर्भ में ही करते हैं. यह इसलिए जरूरी है कि हम अपने इन कानूनों को लचीला करके इस मामले में कमोबेश अमेरिका जैसा बनने की राह पर ही हैं.
इस वक्त अमेरिका की जनसंख्या दुनिया की कुल जनसंख्या की मात्र 5 प्रतिशत ही है. लेकिन यदि नागरिकों द्वारा रखे जाने वाले हथियारों की बात करें तो दुनिया के ऐसे कुल हथियारों का 35 से 50 प्रतिशत स्वामित्व अमेरिकी नागरिकों के पास है. 2007 के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में सौ में से लगभग 88 लोगों के पास हथियार हैं. जबकि भारत में फिलहाल सौ में सिर्फ चार लोग ही लाइसेंसी हथियार रखते हैं.