Re: हिन्दी की श्रेष्ठ ग़ज़लें
धन की लिप्सा ये रंग लाएगी ।
आपसी फ़ासिले बढा़एगी ।
तेरे जीवन का दम्भ टूटेगा,
ऐ ख़िज़ां जब बहार आएगी ।
मुल्क में क्या बचेगा कुछ यारों,
बाड़ जब खुद ही खेत खाएगी ।
इन उनींदे अनाथ बच्चों को,
लोरियां दे हवा सुलाएगी ।
अणुबमों से सज गया संसार,
कैसे कुदरत इसे बचाएगी ।
हम हैं ’दरवेश’ हमको ये दुनिया,
क्या रुलाएगी, क्या हंसाएगी ।
-दरवेश भारती
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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