24-09-2014, 02:38 PM
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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Originally Posted by Rajat Vynar
पवित्रा जी, आप कहतीं हैं- ‘जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें’. यह हमारे देश की प्राचीनतम वस्तु-विनिमय व्यवस्था (barter system) के विरुद्ध है क्योंकि यदि किसी के पास कोई चीज़ पहले से है तो वह चीज़ वह दूसरे से लेना क्यों पसंद करेगा? उदाहरण के लिए यह कल्पना कीजिए कि आप, मैं और सोनी जी किसान हैं. सोनी जी के पास तरबूज का खेत है, आपके पास केले का और मेरे पास खरबूजे का. अब यह स्पष्ट है कि जिसके पास तरबूज का खेत है वह तरबूज के बदले तरबूज तो लेगा नहीं. तरबूज के बदले केला या खरबूजा लेना चाहेगा. इसीलिए तो मैंने कहा कि ‘कुछ पाने’ के बदले उसके समतुल्य ‘कुछ और’ देने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए.
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रजत जी मैं Economis की ही student हूँ तो Barter system(वस्तु विनिमय) समझती हूँ। पर आपको नहीं लगता कि हर जगह ये बात लागू नहीं हो सकती। अब देखिये लोग कहते हैं कि अगर आप चाहते हो कि दूसरे लोग आपको सम्मान दें तो पहले आप को उन्हें सम्मान देना होगा , अगर आप चाहते हैं कि लोग आपसे प्यार से बात करें तो आपको भी दूसरे से प्यार से ही बात करनी होगी। …।ऐस थोड़े ही होता है कि - जैसे मेरा स्वभाव क्रोधी हो और मैं आपसे गुस्से से बात करूँ और बदले में आप मुझे सम्मान दें।
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