Re: इधर-उधर से
शहर में किस किस से लेते इन्तक़ाम
घर में आके सबसे पहले सो गए.
(निदा फ़ाज़ली)
पराई आग़ पे हाथों को तापते रहिये
नहीं तो सुब्ह तलक यूं ही कांपते रहिये.
(निदा फ़ाज़ली)
मंजिल मिले न मिले इसका ग़म नहीं
मंजिल की जुस्तजू में मेरा कारवां तो है
(संगीतकार नौशाद का एक शे’र)
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