अहा हा हा हा हा ...
गजब का प्रश्न है कुमार भाई जी ....
मेरा अनुमान है कि आज के समय में हम दिखावे पर अधिक गौर करते हैं मिट्टी के अखाड़े की बजाय जिम जाते हैं, प्रभू के दिए इस शरीर को लोहा उठा उठा कर बिगाड़ने के लिये/ खादी, सूती और रेशम को त्याग कर अन्य अप्राकृतिक वस्त्रों को महत्त्व देते हैं अरे भाई जी दिखावा जो जरूरी हो गया है/
हम प्रकृति से दूर जो होते जा रहे हैं और अप्राकृतिक को अपना कर वैभव दिखाने की चाह में डूबते जा रहे हैं/
पड़ोसी जो कल तक हमारे सुख
दुखः
के साथी हुआ करते थे आज हमारे सब से प्रबल प्रतिद्वंदी
जो हैं ...
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Quote:
Originally Posted by Kumar Anil
कठिन को सरल और रोचक कर हमारे लिये प्रस्तुत करने पर निस्संदेह आप बधाई के पात्र हैँ । युवी दि ग्रेट क्या आप इस गुत्थी को सुलझा सकते हैँ कि हम अपने जीवन की सरलता को तजकर उसे कठिन बनाने पर क्योँ आमादा हैँ ?
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