Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘एक कन्याय तो मिल नै रहल हें और दोसर के सपना कहां से देखूं।’’
‘‘हां, तब जे लक्ष़्ान हौ ओकरा से तो लगो हौ कि मिलबो नै करतौ।’’
‘‘की बात है, पारा कुछ जादे ही गरम लगो है।’’
तब फिर उसने अपनी उदासी का कारण अपनी शादी की चर्चा घर में किये जाने की बात कही। ‘‘बाबूजी बरतुहारी कर रहलखीन है और उनकर कोशिश है कि तोरा से खूब सुन्दर और नौकरी बाला डाक्टर, इंजिनीयर लड़का खोजे के ताकि हमर मन पिधल जाय।’’
‘‘तब ऐकरा में उदास होबे के की बात, तोरा तो खुश होबे के चाही? नौकरी बाला के कन्याय बनहीं।’’मैने उसके गुस्से को भड़का दिया। वह नाराज होकर जाने लगी पर किसी तरह से मना लिया। उसके गुस्से का एक सबसे बड़ा कारण यह देखने को मिल रहा था कि जब बाबूजी कह दिये थे कि शादी करा देगें तुमसे तब फिर मुकर क्यों रहें है?
इस समय से यह चलन जोरों पर है कि नौकरी बाला लड़का से बेटी की शादी करनी चाहिए और इसके लिए काफी मेहनत की जाती थी। जहां कहीं भी एक भी लड़का रहता उसपर बरतुहार टूट पड़ते जिसकी वजह से नौकरी करने वालों के दहेज की मांग सर्वाधिक या यूं कहें की मुंह मांगी रहती। रीना के बाबूजी ने उसकी शादी मुझसे करा देने का बादा किया था पर अचानक शादी की बात सामने आने से वह उदास थी पर हताश नहीं। फिर दोनों ने ऐसी सूरत में एक फैसला लिया जो अमूमन फिल्मी ही थी। घर से भाग जाने का। प्रस्ताव पर दोनों ने देर तक चर्चा की और इसमें आने वाली बाधाओं पर विचार किया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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