Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘ऐक्कर अलावा और कौनो चारा भी तो नै है, कब से कह रहली हैं कि हमर दोनों के शादी करा दा पर सुनबे नै करो हखीन।’’ रीना ने कहा।
‘‘तब पर भी इतना जल्दी ई फैसला नै लेबे के चाही, पहले तनी और कोशीश करे के चाही, ई त अंतिम उपाय है।’’
इसी कड़ी में उसने बताया कि उसके शादी के लिए उसके पास ही लगभग पच्चीस भर सोने के जेबर और एक लाख से अधिक रूपया जमा है जो भागने के बाद उसके काम आएगे। पर मेरे सामने सबसे बड़ी बाधा यह थी कि घर से निकल कर कुछ दिन के लिए पटना का होस्टल और उसके बाद कोचिंग के अलावा मैं कुछ देखा ही नहीं था सो कहां और कैसे भाग कर जाना है विचार करने लगा। चलो फिर भी जो हो सो हो। कुछ साल पहले से ही सुरेन्द्र मोहन पाठक का उपन्यास पढ़ने की लत लग गई थी और उनके विमल नामक चरित्र से बहुंत प्रेम हो गया था और उसका डायलॉग तो बेहद पसंद थे और उसी को सोंच रहा था।-जो तुध भावे नानका, सोई भली तू कर।
इसी बीच उसके घर में कुछ हलचल सी हुई, दोनों चुंकी उसके घर के पास ही पुलिया पर ही बतिया रहे थे सो सर्तक होकर वहां से खिसक लिया। बाकि बातें बाद में विचारेगें। यह एक बड़ी समस्या थी। घर आया तो रात भर नींद भी नहीं आई। सोंचता रहा कि कहां जाना है। कुछ भी हो पर एक सबसे बड़ी मेरी कमजोरी मेरा अर्न्तमुखी होना था और मैं कम ही बोलता था सो किताबों, कहानियों और फिल्मों के अनुसार बड़े बड़े शहरों के प्रति एक भय मन में बैठा हुआ था, न जाने क्या हो? कैसे कैसे लोग मिले। बगैरह बगैरह। अन्तोगत्वा-जो तुध भावे नानका।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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