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Old 27-09-2014, 10:47 PM   #129
rajnish manga
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Default Re: एक लम्बी प्रेम कहानी

घर में भोज को लेकर बहस होने लगी। कोई पूरी जलेबी तो कोई तीन थान मिठाई करने की बात कहते हुए बहस कर रहे थे। मैं इस सब का विरोध करते हुए सादा सादी भोज करने की बात कहने लगा पर कोई इस पर नहीं मान रहे थे।
इसी क्रम में होने वाले बहस में जब मैने यह कहा कि "कर्जा लेकर गोतिया भाई के खिलैला से कौन नाम होतई
, नहाई ले तो सब कहो है पर साबुन कोई नै दे हई।’’ तो गांव के बड़े बुजुर्ग भड़क गए। आखिर कामो सिंह ने कह ही दिया-आयं हो गोतिया नैया के यहां भोज खाइले जाहीं की नै, यह तो परंपरा ही है खइमहीं तो खिलाबे पड़तै ही।’’

इस सब मे पूरा परिवार पन्द्रह हजार के कर्ज में डूब गया। जिंदगी यहां एक तल्ख सच्चाई के रूप में मेरे सामने आ कर खड़ा हो गई। प्रेम का जुनून पानी के बुलबुले बन गए।

सब कुछ कर धर कर बीस पच्चीस दिन बाद फूआ के यहां पहूंचा। इस बीच कभी प्रेम के मामले पर ध्यान ही नहीं जा सका। क्या हुआ क्या नहीं
, पता नहीं। घर पहूंचते ही मामला बदला बदला नजर आने लगा। मैं भी अब जीवन की कई पहलूओं पर सोचने समझने लगा और उधर रीना कहीं नजर भी नहीं आ रही थी। शायद पहरेदारी कड़ी हो गई होगी या फिर कुछ और मामला होगा। मेरे दिमाग में अब कई तरह के सवाल आ जा रहे थे। खास कर परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए मेरे द्वारा प्रेमविवाह का समाज के विरूद्ध कदम उठाना, सोंचने पर मजबूर कर रहा था। प्रेम का जुनून समुद्र की लहरों की तरह स्वतः टूट कर बिखरता नजर आने लगा। मैं खामोश हो गया। शाम में टहलता हुआ अकेले दूर निकल जाता। इस विपरीत परिस्थिति में यह कदम कहीं से उचित नहीं लग रहा था।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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