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Old 19-04-2014, 11:20 PM   #26
Dr.Shree Vijay
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Arrow Re: मजेदार मनोरंजनात्मक :.........


नेता पहलवान का दांव! :

चुनाव में टिकट बांटने के हर दल के अपने मापदंड होते हैं। एक पार्टी नेता की क्षेत्र में सक्रियता देखती है तो दूसरी समाज में उसकी स्वीकार्यता। कोई धन बल के आधार पर उम्मीदवार तय करता है तो कोई बाहुबली पर दांव लगाता है। चुनाव में टिकट दिलवाने से ज्यादा कटवाने वाले एक्टिव रहते हैं। ऐसे ही कुछ दिलजलों ने तीन दशक पहले एक नेताजी का टिकट कटवा दिया। वह भी यह कहकर कि अब नेताजी काफी थक गए हैं।

चतुर विरोधियों ने नेताजी के बदले उस क्षेत्र से उनके बेटे को टिकट दिला दिया। पेशे से किसान और शौकियापहलवान नेताजी बुढ़ापे में भी काफी फिटफाट थे। मगर विरोधियों का यह ऐसा प्रहार था कि ‘जबरा मारे और रोने न दे’। नेताजी मन मसोसकर रह गए और पूरी शिद्दत से बेटे को जिताने में जुट गए। लिहाजा बेटा जीतकर विधानसभा भी पहुंच गया। पांच वर्षो में नेता पुत्र भी सत्ता का स्वाद चख चुका था। इसलिए वह भी जोड़-तोड़ कर दोबारा टिकट ले आया।

इस बार भी विरोधियों ने बेटे का साथ दिया, लेकिन उसका भाग्य धोखा दे गया और वह हार गया। एक दशक तक सियासत से दूर रहने के कारण नेताजी खूंखार हो गए थे। वे अक्सर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को कोसने से बाज नहीं आते। एक मर्तबा उन्हें पार्टी प्रमुख से मिलने का मौका मिल गया। फिर क्या था? नेताजी ने उन पर पूरी भड़ास निकाल दी। साथ ही पूछ लिया कि दो बार से मेरा टिकट क्यों काट रहे हो? आलाकमान ने कहा कि आपके विरोधियों ने बताया था कि आप बहुत बुजुर्ग हो गए हैं और अपनी जगह अपने बेटे के लिए टिकट चाहते हैं। इस आधार पर हमने आपके बेटे को टिकट दे दिया।

नेताजी ने हाईकमान को समझाया कि यह विरोधियों की चाल है, मैं तो आपके सामने पूरी तरह चुस्त-दुरुस्त खड़ा हूं। एक भी चुनाव नहीं हारा हूं विपरीत हालात में भी जीतकर आया हूं। अब अगली बार टिकट बांटने से पहले इतनी मेहरबानी जरूर करें कि सभी दावेदारों के साथ मुझे भी बुला लें, फिर आप चाहें तो एक-एक से मेरी कुश्ती करा लें, चाहे उनमें मेरा बेटा ही क्यों न हो, और जो जीते उसे टिकट दे दें। यह सुनकर पार्टी प्रमुख भी ठहाका लगाए बिना नहीं रहे। उन्हें यह आश्वस्त कर आगे बढ़ गए कि अगली बार आपको ही अवसर देंगे। इस तरह फिर से नेताजी बेटे का टिकट कटवाकर खुद का टिकट ले आए। जीतकर मंत्री भी बने :.........


गणेश साकल्ले :
(लेखक डीबी स्टार भोपाल के स्थानीय संपादक हैं)


साभार :.........



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