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Old 08-12-2014, 10:18 PM   #2
rajnish manga
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Default Re: अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो

अगले जनम ...

क्या कुसूर था उसका ? यही ना कि वो लड़की है यही ना, कि उसने उन लोगों पर भरोसा किया, जिनके हाथों वो ख़ुद को महफूज़ समझती रही । इसी कुसूर ने उसे जीते-जी नर्क में पहुंचा दिया है । वो रो रही है, लेकिन मेरी गर्दन शर्म से झुक रही है । अब अहसास हो रहा है, कि कलेंडर पर सिर्फ़ तारीख़ें बदल रही हैं, हम बिल्कुल नहीं बदले । आधी आबादी के लगातार घटने पर हम बहस करते हैं, मोटी-मोटी फाइलें बनाकर अपना सिर धुनते हैं । बेटी को कभी लक्ष्मी, तो कभी देश का भविष्य बताकर उसे छूट देने की बात करते हैं । लेकिन जब बात आती है उसकी सुरक्षा की, तो हम उसे कोई गारंटी नहीं दे पाते । वो पैदा हो अपने रिस्क पर जिए अपने रिस्क पर और जब उसके साथ कोई हादसा हो जाए, तो मरे भी अपने रिस्क पर ।

दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती बस के भीतर जो दरिंदगी हुई, वो सिर्फ़ एक मानवीय अपराध नहीं है, वो बहुत बड़ी चूक है । आख़िर कैसे चंद लोगों की हिम्मत इतनी बढ़ जाती है, कि उन्होंने एक लड़की को उसके पुरुष मित्र की मौजूदगी में मॉलेस्ट किया । उन्हें मारा-पीटा और किसी कचरे की तरह रास्ते के एक छोर पर फेंककर चले गए । उन लोगों के ज़हन में एक बार को भी यह ख़्याल नहीं आया, कि पकड़े गए तो क्या होगा ? ना क़ानून का डर, ना पुलिस का ख़ौफ़ । वो कोई पेशेवर अपराधी तो नहीं हैं, जो क़ानून से बच निकलने के दाव-पेंच जानते हों, और इसी वजह से निरंकुश होकर अपराध कर रहे हों । उनकी निरंकुशता को परवान चढ़ाया है क़ानून और व्यवस्था की उस ढील ने, जो अपराधियों को सज़ा तो देती है, लेकिन पीड़ित को न्याय नहीं दे पाती ।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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