Re: क्या ये मेरा गुनाह है?
हम इंसान अपने दिलों में सिर्फ सबके लिए स्नेह नहीं रख पाते यदि नफ़रत का स्थान स्नेह ले ले तो सोचिये ये दुनिया कितनी सुन्दर बन जाती न? जहाँ सिर्फ खुशिया और सुख होते ,हंसी के फुवारे होते , कोई आंसू न होता कोई दिल दहलाने वाली कहानिया न बनती . अरे प्यार से जीने के लिए ही एइसे ही उम्र छोटी है तो क्यों इतने प्यारे जीवन को नफ़रत की आग में हम झोंक रहें हैं ?
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