Re: मुहावरों की कहानी
दूध का दूध पानी का पानी
(मुहावरे पर कहानी)
पंजाब के उत्साह से भरे शहर में एक सीधा-सादा परिवार रहता था। उसमें थे- माता-पिता और उनकी दो बेटियाँ। एक का नाम रेखा और दूसरी का नाम राखी था। वे जुड़वाँ बहने थीं जो बिल्कुल समान दिखतीं थीं। राखी शैतान थी। रेखा सब की मदद करती थी जैसे कि एक अंधे आदमी को सड़क पार कराती तो कभी-कभी किसी बीमार पशु की देखभाल करती जबकि राखी सब को उल्लू बनाती और सब के साथ शरारत करती थी।
रेखा और राखी हाल ही में एक नए स्कूल में आठवीं कक्षा पढ़ने आईं थीं क्योंकि वे एक दूसरे के समान ही दिखती थीं । उनके अध्यापक तक चकरा जाते थे। सबसे बड़ी बात तो उनका नाम भी मिलता-जुलता था।
राखी हमेशा अध्यापकों का मज़ाक उड़ाया करती थी और अंत में सारा इल्ज़ाम अपनी जुड़वाँ बहन रेखा पर डाल देती थी जैसे कि अध्यापक की कुर्सी पर गोंद लगा देना तो कभी श्यामपट पर चित्र बना देना तो कभी कुछ और ऐसे मज़ाक उड़ाती थी । जब उनके माता-पिता को स्कूल बुलाया जाता था तब सभी रेखा को ही भला-बुरा कहते। माँ-बाप राखी जैसे रेखा को बनने को कहते और उसे डाँटते-फटकारते । ऐसे ही बहुत समय तक चलता रहा। आखिर में एक दिन दूध का दूध और पानी का पानी हो गया।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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