Re: यहां अकेले हैं भगवान राम
भगवान राम की नगर परिक्रमा की ये परंपरा 400 साल पुरानी है जो अबतक चली आ रही है। 400 साल पहले जगदगुरु स्वामी रामानांदचार्य ने इस मूर्ति का जीर्णाद्धार कर इसे सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के रुप में स्थापित किया था। भगवान राम की स्वयंभू मूर्ति रामानंदाचार्य ने स्थापित की और उसके बाद से ये मंदिर सर्वेश्वर रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना गया। सर्वेश्वर यानि सभी के ईश्वर, पालनहार भगवान राम है।इसलिए उनका नाम सर्वेश्वर पड़ा। भगवान राम की जिस दिव्य स्वयंभू मूर्ति की मूर्ति को आप देख पा रहे हैं वह माउंटआबू के नक्ली झील से निकली है।
इसी मंदिर के प्रांगण में स्थित प्राचीन रामकुंड है। इस रामकुंड का वर्णन स्कंद पुराण में भी आता है। जिसके बारे में यह पौराणिक मान्यता है कि यहां भगवान राम रोज सुबह में स्नान किया करते थे।
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