Re: आस्तिकता के कुछ दुष्परिणाम
ईश्वर में विश्वास का एक नुकसान यह भी है कि मनुष्य ईश्वर के बहाने अपने उत्तरदायित्व से मुक्ति पा लेता है। गलत काम करेगा खुद और उसके अनिच्छित परिणाम सामने आने पर कहेगा - क्या कर सकते हैं, जैसी प्रभु की इच्छा! एक ही वाक्य में वह अपने कार्य-व्यवहार या निर्णय की जिम्मेदारी से भी मुक्त हो गया और ईश्वर के आदेश को नम्रतापूर्वक स्वीकार करनेवाले भक्त होने की भूमिका भी उसने अदा कर ली। पर वह यह नहीं सोचता कि इस प्रक्रिया में उसकी मनुष्यता कितनी क्षरित हुई? एक मनुष्य के रूप में उसका कितना अवमूल्यन हुआ? एक जिम्मेदार इन्सान के रूप में वह कितना दयनीय, कितना नाचीज साबित हुआ? एक आदमकद इन्सान की जगह एक बौना अवमानव !
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