24-09-2014, 08:58 AM
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#23
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Diligent Member
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Re: ज़िन्दगी गुलज़ार है
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Originally Posted by Pavitra
रजत जी , एक बार फिर से मुझे आपकी बात समझने में परेशानी हो रही है। कुछ पाने के बदले में कुछ और देना ??? धारा 37 ???
मेरा IQ level अभी average के आंकड़े को भी नहीं छू पाया है और आप above average level की बातें लिख रहे हैं। थोड़ा detail में लिखा कीजिये जिससे मेरे छोटे से दिमाग पर ज़्यादा ज़ोर न पड़े। :P
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पवित्रा जी, आप कहतीं हैं- ‘जो पाने की अभिलाषा हो वो देना शुरू करें’. यह हमारे देश की प्राचीनतम वस्तु-विनिमय व्यवस्था (barter system) के विरुद्ध है क्योंकि यदि किसी के पास कोई चीज़ पहले से है तो वह चीज़ वह दूसरे से लेना क्यों पसंद करेगा? उदाहरण के लिए यह कल्पना कीजिए कि आप, मैं और सोनी जी किसान हैं. सोनी जी के पास तरबूज का खेत है, आपके पास केले का और मेरे पास खरबूजे का. अब यह स्पष्ट है कि जिसके पास तरबूज का खेत है वह तरबूज के बदले तरबूज तो लेगा नहीं. तरबूज के बदले केला या खरबूजा लेना चाहेगा. इसीलिए तो मैंने कहा कि ‘कुछ पाने’ के बदले उसके समतुल्य ‘कुछ और’ देने का प्रस्ताव भी मान्य होना चाहिए.
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