Re: Pakhi-meri pankti.
[QUOTE=vindhya;547881] तीन लकीरें
[LEFT] हमारी संस्कृति, हमारे रिवाज़, मध्यम वर्गीय परिवार की बड़ी बेटी को उम्र से कुछ पहले ही बड़ा कर देते हैं | सत्रह से अठारह की देहलीज़ पर पड़ते उसके कदम, पिता को चौखट के बाहर
आज समाज चाहे कितना भी आधुनिकता के रंग से रंग गया हो . और २० के बदले बेतिया भले ही २५ की उम्र में ब्याही जाती हों पर बेटी बाप की चिंता को अवश्य ही महसूस करती है इस विषय को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों से सवांरा है विन्ध्या जी .. शेयरिंग के लिए हार्दिक आभार
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