Re: "ये जिदंगी और ये दुनिया"
Quote:
Originally Posted by deepkukna
अर्द्रनिशा के गहेरे अंधेरे मे अब ये समझ पाया था कि...
"ये दुनिया क्या है
ये दुनिया वाले क्या है
ये अलबेली क्योँ है
ये निराली क्योँ है"
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चलो.....................
जब जागो तभी सवेरा
अच्छी कविता है
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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