Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
ये तेरी धरती - खुदाई तेरी, ये हर सू जल्वानुमाई तेरी
मगर कहीं पर ज़मीं है बंजर कहीं पे सोना उगल रही है
(सरवत परवेज़ सहसवानी)
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हमेशा पोंछती रहती है आंसू अपने बच्चों के
सुना तुमने, किसी माँ का कभी आँचल भीगा क्या
'अनमोल शुक्ल अनमोल'.
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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