Re: छुआछूत (अस्पृश्यता) .. सिद्धांत या कलंक
अगर ये दोनों सूचियां एक ही वर्ग के लोगों की हैं और ये सिर्फ़ अस्पृश्यता के विस्तार का मामला है तो इसका कारण क्या है? ऐसा कैसे सम्भव है कि अकेले चमार को छोड़कर ४२८ का तब अस्तित्व ही नहीं था? और यदि था तो उनका उल्लेख स्मृतियों में क्यों नहीं मिलता? इस प्रश्न को कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता।
अब यदि यह मान लिया जाय कि ये दो अलग अलग वर्गों की सूचियां हैं। शास्त्र वाली सूची अपवित्र जनों की है जबकि ऑर्डर इन कौंसिल वाली सूची अछूतों की तो इन सवालों का कोई अर्थ नहीं रह जाता। सिवाय इस पहलू के कि चमार को दोनों सूचियों में कैसे स्थान प्राप्त है? अकेले चमार की दोनों सूचियों में उपस्थिति से यह सिद्ध नहीं किया जा सकता कि दोनों सूचियाँ एक ही लोगों के बारे में हैं बल्कि अगर ये समझा जाय कि ये दो सूचियां दो अलग अलग लोगों के बारे में हैं; एक अपवित्रों की और एक अछूतों की। तो सिर्फ़ इतना सिद्ध होता है कि चमार जो कभी अपवित्र थे बाद में अछूत हो गये।
स्मृतियों में वर्णित बारह अपवित्र जातियों में अकेले चमार को ही क्यों अछूत बनाया गया, ये समझना कठिन नहीं। चमार और अन्य अपवित्र जातियों ने जिस बात ने भेद पैदा किया है वह है गोमांसाहार। जब गो को पवित्रता का दरजा मिला और गोमांसाहार पाप बना, तब अपवित्र लोगों में जो गोमांसाहारी थे केवल वही अछूत बने। स्मृतियों की सूची में अकेले चमार ही गोमांसाहारी है।अस्पृश्यता के मूल कारण गोमांसाहार है और यह अपवित्रता से अलग है। यही बात छुआछूत के जन्म का काल निर्णय करने में निर्णायक सिद्ध होगी।
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