Re: राष्ट्रीय गौरव से समझौता????
अमोल भाई कुछ बातें छापने और पढ़ने में रोचक भले ही हों पर प्रायोगिक नहीं हो सकती
आपकी लिखी बातें उन्ही में एक हैं
वैश्विक एकीकरण के इस दौड़ में ऐसी बातें बेमानी सी लगती है
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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