21-08-2014, 07:48 PM
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#667
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by bindujain
रब कभी कुछ नहीं दिया करता
रात-दिन घंटियाँ बजाने से
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साँसें सुरभित हो आयी हैं, प्रिय के मधुर स्मरण का क्षण है
प्रिय की स्मृति में डूब रहा हूँ, मुझको यह पूजन का क्षण है
(चन्द्रसेन विराट)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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