Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
साँसें सुरभित हो आयी हैं, प्रिय के मधुर स्मरण का क्षण है
प्रिय की स्मृति में डूब रहा हूँ, मुझको यह पूजन का क्षण है
(चन्द्रसेन विराट)
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हादसों के दौर में इक हादसा यह भी हुआ
क़ातिलों को अपने दिल के ज़ख्म दिखलाने पड़े
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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