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Originally Posted by rajnish manga
साहित्यकारों के विनोद प्रसंग
चाय का बिल
अहमद नदीम काज़मी और इब्ने इंशा
यह उन दिनों की बात है.... नहीं बनता??”
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शायरों से आम आदमी सीधा कनेक्ट हो जाता है क्युं की दोनों की आर्थिक हालत लगभग एक सी ही होती है! फिर भी उन दिनों जो सादगी और उच्च विचारधारा कलाकारों के जीवन में दिखाई देती थी वही उनकी महानता प्रदर्शित करती है।
सभी प्रसंग बहुत खुबसुरती से कहे जा रहें है ईसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद। यह सुत्र जारि रखिएगा।