Re: प्रेम, प्रणय और धोखा
नींद को मैं पुकारा बहुत रात तक
नींद आयी न जब तो मैं घबरा गया
सो गयी थी धरा सो गया था गगन
मैं अकेला मगर जागता रह गया
बात करता रहा मैं स्वयं से स्वयं
और समय भी निरंतर सिमटता रहा
पर तभी तेरा चेहरा मुझे दिख गया
मैं चाँद को देखते देखते सो गया !!
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