Re: मुहावरों की कहानी
जैसे को तैसा (तीन)
रमेश और सुरेश दो भाई थे। रमेश बहुत धूर्त था, जबकि सुरेश बहुत सीधा था। पिता की मृत्यु के बाद उन्होने घर के सामान का बंटवारा करने की सोची। सामान मे एक भैंस, एक कम्बल, एक आम का पेड़ और एक 'आधा कच्चा, आधा पक्का' घर था। रमेश ने कहा मै बड़ा हूँ, इसीलिए मैं बँटवारा करता हूँ। सुरेश ने हामी भर दी। रमेश बोला, "भैंस का आगे का हिस्सा तेरा और पीछे का मेरा, कम्बल दिन में तेरा और रात में मेरा, पेड़ का नीचे का भाग तेरा और ऊपर का मेरा, छप्पर वाला घर तेरा और पक्के वाला मेरा।" सुरेश ने अपने सीधेपन मे भाई की सारी बात मान ली। रमेश के तो मजे आ गये। भैंस को चारा सुरेश खिलाता और दूध रमेश निकालता, दिन मे कम्बल यूँ ही पड़ा रहता और रात मे रमेश मजे से ओढ़कर सोता, सुरेश पेड़ में पानी देता और फल रमेश खाता, रात को रमेश कमरे मे सोता और सुरेश बेचारा मच्छरों व ठंड की वजह से रात को सो नहीं पाता। रमेश फल और दूध बेचकर पैसे कमा रहा था और आराम का जीवन बिता रहा था, जबकि सुरेश बेचारा दिन भर काम करता और रात को उसे चैन की नींद भी नसीब नही होती थी। इसी तरह दिन बीत रहे थे, बेचारा सुरेश सूखकर कॉंटा हो गया था।
एक दिन सुरेश के बचपन का दोस्त शहर से गॉव आया, सुरेश को इस तरह देखकर उसे बहुत दुख हुआ। जब उसने पूछा तो सुरेश ने सारी बात बताई। सुनकर उसके दोस्त ने उसके कान मे कुछ कहा और बोला ऐसे करने से उसकी सारी परेशानियां दूर हो जाएगी। अगले दिन सुबह ही जैसे ही रमेश दूध निकालने बैठा सुरेश ने भैंस के मुँह पर डंडे मारने शुरू कर दिये, जब रमेश ने रोकना चाहा तो वह बोला कि अगला हिस्सा उसका है, वह जो चाहे सो करे। उस दिन भैंस ने दूध नही दिया। रात को जब रमेश ने कम्बल ओढ़ना चाहा तो वह पूरा भीगा हुआ था, पूछने पर सुरेश ने कहा कि दिन मे कम्बल उसका है वह जो चाहे सो करे। रमेश दांत पीसता हुआ सोने चला गया, पर तभी उसने देखा कि उसके कमरे के बराबर वाले छप्पर मे सुरेश ने आग लगा दी है और पूछने पर उसने वही जबाब दिया। अब तक रमेश समझ चुका था कि सुरेश को उसकी चालाकी पता चल गयी है सो उसने हाथ जोड़कर सुरेश से माफी मांगी और उसका हिस्सा ईमानदारी से देने का वायदा किया।
(साभार: सविता अग्रवाल)
Last edited by rajnish manga; 02-12-2013 at 01:20 PM.
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