Re: Jabalpur, Indore & Mandu (M.P.)
सांझ उतर आई है। हम छतरी से उतर कर महल की छत पर आजाते हैं। और थोड़ी ही देर बाद महल से बाहर। रात खाना खाने के बाद रेस्तरां से बाहरनिकले तो संगीत की कुछ ध्वनियाँ सुनाई दीं। आती हुई ध्वनियों की दिशा में देखा, रौशनी भी दिखी। पाँव उसी ओर बढ़ा दिए। वहाँ कुछ बच्चे नवरात्र का उत्सव मना रहे थे।सन्नाटे में यह आवाज़ काफ़ी गूँज रही थी। हम लोग आसपास घूमते रहे। आसमान साफ था।तारों से भरा हुआ। चाँद नदारद था।
यह तीन अक्तूबर का दिन था। सुबह सवेरे ही हम लोगसबसे पहले जहाज़ महल की ओर रवाना हुए। जहाज़ महल के बाहर सन्नाटा था। अभी पर्यटक आनेशुरू नहीं हुए थे। टिकिट खिड़की के साथ ही बने हुए जहाज़ महल के नक़्शे से गाइड नेहमें समझाना शुरू किया। सभी की तरह से मेरे मन में भी यह जिज्ञासा थी कि इस इमारतका नाम जहाज़ महल क्यों है। जहाज़ की आकृति की बनी यह इमारत 120 मीटर लंबी है। और यहदो कृत्रिम तालाबों- मुंज तालाब और कपूर तालाब से घिरी हुई है।
दो मंज़िलों मेंतामीर किया गया यह महल संभवत: गयासुद्दीन ख़िलजी ने बनवाया था। कहते हैं कि सुल्तानगयासुद्दीन ख़िलजी ने इस महल का निर्माण अपने विशाल हरम के लिए करवाया था। कहते हैंकि गयासुद्दीन के इस हरम में 1600 रानियाँ थीं। इनमें से देश-विदेश की कुछविदुषियाँ भी शामिल थीं। इस तथ्य में कितनी सच्चाई है और कितनी कल्पना, यह कहनामुश्किल है। महल के अंदर ही स्थित है दिलावर खाँ की मस्जिद। अफ़गानी और भारतीयस्थापत्य का मिला-जुला रूप यहाँ मौजूद है। भारत की यह ऐसी पहली मस्जिद मानी जाती हैजहाँ औरतें भी नमाज़ अदा कर सकती थीं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 26-05-2014 at 03:21 PM.
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