26-05-2014, 03:31 PM
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#29
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Re: Jabalpur, Indore & Mandu (M.P.)
संचार की यहध्वनि-व्यवस्था पुराने किलों में भी होती थी, लेकिन यहाँ की संचार व्यवस्था कादायरा थोड़ा बड़ा था। हमने कई ध्वनियाँ हवा में फ़ैंकी और वे ईको करती हुई हम तक लौटआईं, आगे तो पहुँची ही होगी। दाई के महल के पास ही छोटी दाई का महल देखने के बाद हमएक बार फ़िर रूपमती के महल की ओर चलते हैं और एक बार फ़िर वहाँ के वातावरण को जी भरकर जीते हैं। हम वहाँ इतने मस्त हो जाते हैं कि लौटते हुए बाज बहादुर का महल बंद होजाता है। अगली सुबह। आज हमें माण्डू से उज्जैन की ओर रवाना होना है। लेकिन बाजबहादुर का महल देखे बिना कैसे लौटें? तो सबसे पहले हम वहीं जाते हैं और सुबह केअल-मस्त माहौल में बाज बहादुर के संगीत को सुनते हुए थोड़ा वक़्त वहीं गुज़ारते हैं।वक़्त फ़िसलता हुआ महसूस होता है।
महल के सामने रेवा कुंड का पानी महल की जल-व्यवस्था का प्रमाण देता हुआ आज भी अपनी सत्ता का अहसास दिलाता है। बाज बहादुरके महल से हम रूपमती के महल की ओर देख कर कल्पना करने लगते हैं कि कैसे रूपमती औरबाज बहादुर अपने-अपने महल की छतरियों में खड़े हुए एक-दूसरे को निहारते होंगे! कैसेरूपमती के महल से संगीत की स्वर-लहरियाँ बाज बहादुर के महल तक पहुँचती होंगी! औरकैसे उन दोनों के बीच प्रणय का संसार अपनी खुशबू बिखेरता होगा। उन दोनों के प्रेमके कारण ही आज माण्डू गयासुद्दीन ख़िलजी, महमूद ख़िलजी या और किसी सुलतान, राजा, नवाबया दरवेश की वजह से याद नहीं किया जाता, बल्कि माण्डू याद किया जाता है रूपमती औरबाज बहादुर के प्रेम के कारण। इससे यह तो साबित हो ही जाता है कि सभी भावों, रूपोंऔर सत्ताओं से सबसे बड़ी सत्ता प्रेम की है। इसलिए माण्डू आज तक प्रेम का पर्याय बनाहुआ है। हम इसी पर्याय को लिए वहाँ से लौट रहे हैं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 26-05-2014 at 08:33 PM.
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