Re: एक थी तात्री
दिन के उजाले में जब उसने, अपनी इस नवीन सहचरी को देखा- वह चीखा और वहां से भाग खड़ा हुआ. उसके बाद…!!! जैसे ही तात्री की असलियत उसके अन्य प्रेमियों को पता चली, वह तत्क्षण वहां से पलायन कर गये. किन्तु फिर भी बच न सके!! तात्री के पास से, उन भद्र पुरुषों की अंगूठियाँ, अंगोछे और कमरबंद जैसे अनेक सबूत बरामद हुए; जिनके आधार पर अनैतिक संसर्ग के आरोप में, समाज के ६५ गणमान्य व्यक्तियों को धर लिया गया. यह था एक नम्बूदरी स्त्री का प्रतिशोध- अपने पति और पुरुषवादी व्यवस्था के विरुद्ध! इस प्रकार ऐतिहासिक ‘स्मार्त चरितं’ का समापन हुआ और समाज के ठेकेदार ‘सम्बन्धम’ जैसी कुरीतियों पर पुनर्विचार करने को विवश हो गये.
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