उज्जैन का रहस्य
आज जब हमारे देश भारत में सिंहस्थ कुम्भ मेले को लेकर कई लेख लिखे जा रहे हैं और इस मेले को बड़े उत्साह के साथ और धार्मिक दृष्टि के साथ जोड़ा और मनाया जाया जा रहा है . रोज हमें टीवी पर समाचार पत्रों पर इसके बारे में जानकारिय प्राप्त हो रही है तब साथ ही हम जहाँ ये मेला लगा हुआ है उस उज्जैन की पावन धरती के बारे में जरा कुछ जान लें ये वो धरती है जहाँ राजा विक्रमादित्य ने माता हरसिधि का मंदिर बनवाया था जिसकी कथा बड़ी लोकप्रिय है . यह मेला जो की हर १२ वर्षों बाद ही लगा करता है .
क्षिप्रा नदी के कलकल-छलछल प्रवाह से रचा उज्जैन का इतिहास है । मुनियों ने नदियों की आराधना में ऋचाएं लिखी है। क्षिप्रा नदी का इतिहास कहता है कि वह किसी पर्वत के शीर्ष से नहीं किन्तु धरती के गर्भ से प्रस्फुटित होकर बहती है अपने गोपनीय द्वार से आकर वह भगवान महाकालेश्वर का युगों से अभिषेक कर रही है। .... क्षिप्रा नदी का बखान तो पुराणों में भी किया गया है . चलिए जाने कुछ उज्जैन शहर के बारे में भी ...
उज्जैन का रहस्य
सोमनाथ - 777 किमी
ओंकारेश्वर। - 111 किमी
भीमाशंकर। - 666 किमी
काशी विश्वनाथ- 999 किमी
मल्लिकार्जुन। -999 किमी
केदारनाथ - 888 किमी
त्रयंबकेश्वर। -555 किमी
बैजनाथ। -999 किमी
रामेश्वरम। -1999 किमी
घृष्णेश्वर -555 किमी
सनातन धर्म में कुछ भी बिना कारण के नही होता था ।
उज्जैन पृथ्वी का केंद्र माना जाता है । जो सनातन धर्म में हजारों सालों से केंद्र मानते आ रहे है इसलिए उज्जैन में सूर्य की गणना और ज्योतिष गणना के लिए मानव निर्मित यंत्र भी बनाये गये है करीब 2050 वर्ष पहले ।
और जब करीब 100 साल पहले पृथ्वी पर काल्पनिक रेखा (कर्क) अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा बनायीं गयी तो उनका मध्य भाग उज्जैन ही निकला।
आज भी वैज्ञानिक उज्जैन ही आते है सूर्य और अन्तरिक्ष की जानकारी के लिये । हिन्दू धर्म की मान्यताये पुर्णतः वैज्ञानिक आधार पर निर्मित की गयी है ।
बस हम उसे दुनिया में पेटेंट नही करवा सके।
🔴🔴 जय जय महाकाल 🔴🔴
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