Quote:
Originally Posted by rajnish manga
युवा वर्ग में दिखाई देने वाली इन नेगेटिव आदतों के पीछे निम्नलिखित कारण विशेष रूप से जिम्मेदार हैं:
1. पारिवारिक संबंधों में परंपरागत मूल्यों का ह्रास. मेरा यह मानना है कि माता पिता का रोल युवाओं के लिये इतना ही रह गया है कि वे उनकी हर प्रकार की ज़रूरतें पूरी करते रहें लेकिन उनके व्यवहार की खामियों पर कोई टिप्पणी न करें. उन्हें परम्परा के नाम पर पुरानी (यानी डाकियानूसी) बातें सिखाने की कोशिश न करें. दूसरी ओर, माता-पिता द्वारा भी घर में ऐसे वातावरण का निर्माण नहीं किया जाता जिससे बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति सहज खिंचाव या लगाव पैदा हो. इससे परिवार के सभी सदस्यों में आपसी सद्भाव और परस्पर आदर व समझ विकसित हो. जब हर परिवार इन सिद्धांतों पर चलेगा तो परंपरागत मूल्य अपने आप स्थापित होंगे.
2. स्कूलों या कॉलेजों में छात्रों के चरित्र निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया जाता बल्कि फेक्ट्रीयों के उत्पादन की तरह शिक्षित लोगों का टर्नओवर बढ़ाया जा रहा है. इसमें गुणात्मक विकास से ज्यादा संख्या बढ़ने पर जोर होता है.
3. क़ानूनी संस्थाएं या पुलिस भी या तो संवेदनशीलता की कमीं से, ट्रेनिंग की कमीं से या आवश्यकता के हिसाब से सुरक्षा बलों के न होने से भी युवको को मनमानी करने का मौक़ा मिल जाता है. नशीले पदार्थ ही नहीं कई अन्य बुराइयाँ भी ऐसे वातावरण में युवकों में पनपने लगती हैं.
|
मैं समज ही नहीं पा रहा था की अपने विचार कैसे रखुं । लेकिन रजनीश जी ने बहुत सुचारु और वर्णनात्मक ढंग से पुरी बात बता दी । मै भी कुछ यही कहना चाहता था ।