तेरी याद आ गई
जिंदगी फिर मुझको बहला गई
तेरी याद आ गई
कुछ ख्याल आँसू बनकर
आँखों में आ उतरे
कुछ देर रहे भटकते
फिर गालों पर आ झरे
तू आँसू बनकर मुझको सहला गई
तेरी याद आ गई
मैं कुछ सूखा, कुछ रूखा
खड़ा था कबसे अपने ही मन में
वो हँसी उठी कहीं अतीत से
बादल बन छा गई फिर आंगन में
तू बारिश बनकर मुझको नहला गई
तेरी याद आ गई
वीरान दरख़्त एक उगा था मुझ में
ना पत्ते ना फूल बस खामोशी
और थी धुएँ और बर्फ में दबी
अहसासों की लंबी होती बेहोशी
तू दीप बनकर जली, बर्फ वो पिघला गई
तेरी याद आ गई
सूखे पत्तों की आहट ही कब से
बस सुन रहा था में
गुम हो चुकी थी रोशनी
अंधेरों को ही बुन रहा था मैं
तू चाँद सी निकली, चाँदनी फैला गई
तेरी याद आ गई
जिंदगी फिर मुझको बहला गई
तेरी याद आ गई