Re: ज़िन्दगी ... .
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Originally Posted by jai_bhardwaj
सुनते थे तेरे अंजुमन में कांटे हैं ज़िन्दगी
लो, हम भी तेरे पास आये हैं ज़िन्दगी
काँटे मुझे पसंद हैं और चुभन भी इनकी
बस मुझसे कभी दूर जाना न ज़िन्दगी
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सूत्र पसंद करने तथा सहयोग करने का का शुक्रिया
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
Last edited by bindujain; 10-04-2013 at 09:13 PM.
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