Re: स्टीव ज़ोब्स की तीन कहानियाँ
मेरी तीसरी कहानी मृत्यु के बारे में है. जब मैं 17 साल का था तो मैंने एक जगह पढ़ा था, जो कुछ इस तरह था, “ यदि आप हर रोज ऐसे जिए जैसे की ये आपकी जिंदगी का आखिरी दिन है ..तो आप किसी न किसी दिन सही साबित हो जायेंगे.” इसने मेरे दिमाग पे एक जगह बना दी, और तबसे...पिछले ३३ सालों से , मैंने हर सुबह उठ कर शीशे में देखा है और खुद से एक सवाल किया है , “ अगर ये मेरी जिंदगी का आखिरी दिन होता तो क्या मैं आज वो करता जो मैं करने वाला हूँ?” और जब भी लगातार कई दिनों तक जवाब “नहीं” होता है , मैं समझ जाता हूँ की कुछ बदलने की ज़रूरत है. इस बात को याद रखना की मैं बहत जल्द मर जाऊँगा मुझे अपनी जीवन के बड़े निर्णय लेने में सबसे ज्यादा मददगार होता है , क्योंकि जब एक बार मृत्यु के बारे में सोचता हूँ तब सारी आशाएं, सारा घमंड, असफल होने का डर सब कुछ गायब हो जाता है और सिर्फ वही बचता है जो वाकई ज़रूरी है.इस बात को याद करना की एक दिन मरना है...किसी चीज को खोने के डर को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है.
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