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Originally Posted by आकाश महेशपुरी
ग़ज़ल- कुछ किया ही नहीं...
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मैं तो' जीता रहा बस किसी के लिए
कुछ किया ही नहीं जिंदगी के लिए
क्या मुझे वो कहीं पर मिलेगी कभी
मैं भटकता रहा जिस खुशी के लिए
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हमने' यूँ ही गवां दी जवानी मगर
भाग्य को कोसते हर कमी के लिए
ग़ज़ल -आकाश महेशपुरी
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अद्वितीय भाव एवम् सार्थक अभिव्यक्ति. दिल को छूने वाली ग़ज़ल. धन्यवाद, आकाश जी.