Re: डार्क सेंट की पाठशाला
जिन्दगी का कड़वा सच
एक शहर में भिखारी था। भीख मांगते-मांगते उसने न जाने कितने वर्ष गुजार दिए यह कोई भी नहीं जानता था। दरअसल उस शहर में उसका कोई अपना सगा-सम्बंधी या रिश्तेदार नही रहता था, इसलिए वह मजबूरी में सड़क किनारे बैठा या पड़ा रहता था और आते जाते लोगों से भीख मांगता रहता था। बढ़ती उम्र के कारण वह न ठीक से कोई चीज खा पाता था और न पी पाता था। इस वजह से उसका बूढ़ा शरीर धीरे -धीरे सूखकर कांटा हो गया था। उसके शरीर की एक-एक आसानी से हड्डी गिनी जा सकती थी। उसकी आंखों की ज्योति भी काफी धुंधली हो गई थी। शारीरिक दर्बलता के चलते उसे कोढ़ हो गया था। ऐसे में रास्ते के एक ओर बैठकर गिड़गिड़ाते हुए भीख मांगा करता था। एक युवक उस रास्ते से रोज निकलता था और उसकी नजर रोज ही उस भिखारी पर पड़ती थी । भिखारी को देखकर उसे बड़ा बुरा लगता और उसका मन बहुत ही दुखी हो जाता था। वह सोचता था कि आखिर यह आदमी क्यों भीख मांगता है? आखिर उसे जीने से उसे मोह क्यों है? भगवान उसे उठा क्यों नहीं लेते? एक दिन उससे न रहा गया। वह भिखारी के पास पहुंच गया और बोला-बाबा,तुम्हारी ऐसी हालत हो गई है फिर भी तुम जीना चाहते हो? तुम भीख मांगते हो पर ईश्वर से यह प्रार्थना क्यों नहीं करते कि वह तुम्हें अपने पास बुला ले? भिखारी ने युवक को देखा और बोला -भैया तुम जो कह रहे हो वही बात मेरे मन में भी उठती है। मैं भगवान से बराबर प्रार्थना करता हूं पर क्या करूं वह मेरी सुनता ही नहीं। शायद वह चाहता है कि मैं इस धरती पर रहूं जिससे दुनिया के अन्य लोग मुझे देखें और समझें कि एक दिन मैं भी उनकी ही तरह था, लेकिन वह दिन भी आ सकता है, जबकि वे मेरी तरह हो सकते हैं। इसलिए किसी को घमंड नहीं करना चाहिए। लड़का भिखारी की ओर देखता रह गया। उसने जो कहा था, उसमें कितनी बड़ी सच्चाई समाई हुई थी। यह जिंदगी का एक कड़वा सच था, जिसे मानने वाले प्रभु की सीख भी मानते हैं।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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