Re: ~!!चन्द्रकान्ता!!~
पाँचवाँ बयान
अहमद ने, जो बाग के पेड़ पर बैठा हुआ था जब देखा कि चपला ने नाजिम को गिरफ्तार कर लिया और महल में चली गई तो सोचने लगा कि चन्द्रकान्ता, चपला और चम्पा बस यही तीनों महल में गई हैं, नाजिम इन सभी के साथ नहीं गया तो जरूर वह इस बगीचे में ही कहीं कैद होगा, यह सोच वह पेड़ से उतर इधर-उधर ढूँढ़ने लगा। जब उस तहखाने के पास पहुंचा जिसमें नाजिम कैद था तो भीतर से चिल्लाने की आवाज आयी जिसे सुन उसने पहचान लिया कि नाजिम की आवाज है। तहखाने के किवाड़ खोल अन्दर गया, नाजिम को बंधा-पा झट से उसकी रस्सी खोली और तहखाने के बाहर आकर बोला, ‘‘चलो जल्दी, इस बगीचे के बाहर हो जायें तब सब हाल सुनें कि क्या हुआ।’’
नाजिम और अहमद बगीचे के बाहर आये और चलते-चलते आपस में बाच-चीत करने लगे। नाजिम ने चपला के हाथ फंस जाने और कोड़ा खाने का पूरा हाल कहा।
अहमदः भाई नाजिम, जब तक पहले चपला को हम लोग न पकड़ लेंगे तब तक कोई काम न होगा, क्योंकि चपला बड़ी चालाक है और धीरे-धीरे चम्पा को भी तेज कर रही है। अगर वह गिरफ्तार न की जायेगी तो थोड़े ही दिनों में एक की दो हो जाएंगी चम्पा भी इस काम में तेज होकर चपला का साथ देने लायक हो जायेगी।
नाजिमः ठीक है, खैर, आज तो कोई काम नहीं हो सकता, मुश्किल से जान बची है। हाँ, कल पहले यही काम करना है, यानी जिस तरह से हो चपला को पकड़ना और ऐसी जगह छिपाना है कि जहाँ पता न लगे और अपने ऊपर किसी को शक भी न हो।
ये दोनों आपस में धीरे-धीरे बातें करते चले जा रहे थे, थोड़ी देर में जब महल के अगले दरवाजे के पास पहुंचे तो देखा कि केतकी जो कुमारी चन्द्रकान्ता की लौंडी है सामने से चली आ रही है।
तेजसिंह ने भी जो केतकी के वेश में चले आ रहे थे, नाजिम और अहमद को देखते ही पहचान लिया और सोचने लगे कि भले मौके पर ये दोनों मिल गये हैं और अपनी भी सूरत अच्छी है, इस समय इन दोनों से कुछ खेल करना चाहिए और बन पड़े तो दोनों नहीं, एक को तो जरूर ही पकड़ना चाहिए।
तेजसिंह जान-बूझकर इन दोनों के पास से होकर निकले। नाजिम और अहमद भी यह सोचकर उसके पीछे हो लिए कि देखें कहाँ जाती है ? नकली केतकी (तेजसिंह) ने मुड़कर देखा और कहा, ‘‘तुम लोग मेरे पीछे-पीछे क्यों चले आ रहे हो ? जिस काम पर मुकर्रर हो उस काम को करो !’’अहमद ने कहा, ‘‘किस काम पर मुकर्रर हैं और क्या करें, तुम क्या जानती हो ?’’ केतकी ने कहा, ‘‘मैं सब जानती हूँ ! तुम वही काम करो जिसमें चपला के हाथ की जूतियां नसीब हों ! जिस जगह तुम्हारी मददगार एक लौंडी तक नहीं है वहाँ तुम्हारे किये क्या होगा ?’’
|