02-01-2015, 09:53 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
कुरूपता और सुन्दरता
एक दिन कुरूपता और सुंदरता सागर के तट पर मिलीं। वे एक-दूसरे से बोलीं, 'चलो सागर में स्नान करें।'
उन्होंने वस्त्र उतारे और पानी में तैरने लगीं। कुछ समय बाद कुरूपता तट पर वापस आ गई। उसने सुंदरता के कपड़े पहने और चली गई।
कुछ देर बाद सुंदरता भी पानी से बाहर आ गई। लेकिन उसे अपना परिधान नहीं मिला। बिना कपड़ों के उसे बड़ी शर्म आई। इसलिए उसने कुरूपता का परिधान पहना और अपने रास्ते चली गई।
आज तक स्त्री-पुरुष इन दोनों में एक को दूसरा समझने की गलती करते हैं।
फिर भी कुछ लोग ऐेसे हैं, जिन्होंने सुंदरता का चेहरा देखा है। वे उनके पहरावे से धोखा नहीं खाते। और कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कुरूपता के चेहरे को पहचानते हैं। उनकी आंखें उसके कपड़ों में भी उसे पहचान जाती हैं।
यह लघु कथा हमें इस बात की समझ देती है कि सब खूबसूरत दिखने वाले लोग अच्छे नहीं होते। और सभी बदसूरत इंसान बुरे नहीं होते। इस ऊपरी खोल के भीतर झांक कर ही अक्लमंद लोग किसी भी रिश्ते को बनाते या छोड़ते हैं।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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