04-01-2015, 11:17 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
छाया
जून का महीना था. एक दिन एक घास के तिनके ने सनोवर की छाया से कहा, “तुम प्रायः मेरे दायें-बाएं आ कर खड़ी हो जाती हो और परेशान करती हो”.
छाया ने उत्तर दिया.”मेरा इसमें क्या दोष है? ज़रा ऊपर की और देखो. यह वृक्ष हवा के झूले पर पूर्व से पश्चिम की ओर, सूर्य और धरती के बीच झोंके ले रहा है.”
तिनके ने ऊपर की और देखा वृक्ष को देखने का यह उसके लिए पहला ही अवसर था. उसने अपने मन में कहा, “इसमें ऐसा क्या है? है तो यह घास ही. ज़रा बड़ी है तो क्या हुआ?”
फिर वह चुप हो गयी.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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