04-01-2015, 11:24 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
श्राप
एक वृद्ध व्यक्ति ने मुझसे कहा, ”तीस साल हो गए,एक नाविक मेरी लड़की को लेकर भाग गया. मैंने उन दोनों को बुरी तरह कोसना शुरू कर दिया. मैंने लड़के के अनिष्ट का श्राप दिया. क्योंकि मैं अपनी बेटी से बहुत प्यार करता था और उसे वापिस पाना चाहता था.
इसके बाद बहुत दिन नहीं बीते कि वह युवक नाविक जहाज सहित समुद्र-तल में जा पहुंचा. उसी के साथ मेरी प्यारी बेटी भी हमेशा के लिए खो गयी.
“इसलिए तुम मुझे एक युवक और युवती का हत्यारा समझो. मेरा श्राप ही दोनों के विनाश का कारण था. अब जब कि मैं कब्र में जाने को तैयार हूँ, इश्वर से उसके लिए क्षमा यातना करता हूँ.”
यह सब उस वृद्ध व्यक्ति ने कहा तो जरूर, पर उसके कथन में दंभ का अहसास था. और ऐसा लगता था कि उसे अब भी अपने श्राप देने की शक्ति का घमंड था.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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