प्रिन्ट मीडिया जब सनसनीखेज खबरोँ को प्रमुखता से छापता है तो वह पीत पत्रकारिता की श्रेणी मेँ आता है और उसकी भर्त्सना होनी ही चाहिये मगर हर सिक्के के दो पहलू होते हैँ और हर समाज अच्छे और बुरे दोनोँ ही लोगोँ से मिलकर बनता है । जब कोई अखबार अच्छी खबर छाप कर समाज के लिए सकारात्मक माहौल पैदा कर लोगोँ को अच्छे कार्योँ की प्रेरणा देता है । तब फिर उसी अखबार का यह पुनीत दायित्व भी बनता है कि सफेदपोश लोगोँ के काले चेहरोँ , पुरुषोँ की खाल मेँ छिपे बलात्कारी भेड़ियोँ के चेहरोँ को बेनकाब कर उनका वास्तविक रूप उजागर करे ताकि हम उनसे सावधान रहकर बुरे कार्योँ से दूर रहेँ । बशर्ते अखबारोँ का यह कृत्य पीत पत्रकारिता से दुष्प्रेरित न हो ।