08-01-2011, 03:18 PM
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#3
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Re: बुरी ख़बरें ही...
साही बात की आपने ...
खुदा बेवकूफों को महफूज रखे, उन्हें खत्म न हो जाने दे; क्योंकि अगर वो न रहे तो समझदारों की रोजी मुश्किल हो जायेगी।
Quote:
Originally Posted by Kumar Anil
प्रिन्ट मीडिया जब सनसनीखेज खबरोँ को प्रमुखता से छापता है तो वह पीत पत्रकारिता की श्रेणी मेँ आता है और उसकी भर्त्सना होनी ही चाहिये मगर हर सिक्के के दो पहलू होते हैँ और हर समाज अच्छे और बुरे दोनोँ ही लोगोँ से मिलकर बनता है । जब कोई अखबार अच्छी खबर छाप कर समाज के लिए सकारात्मक माहौल पैदा कर लोगोँ को अच्छे कार्योँ की प्रेरणा देता है । तब फिर उसी अखबार का यह पुनीत दायित्व भी बनता है कि सफेदपोश लोगोँ के काले चेहरोँ , पुरुषोँ की खाल मेँ छिपे बलात्कारी भेड़ियोँ के चेहरोँ को बेनकाब कर उनका वास्तविक रूप उजागर करे ताकि हम उनसे सावधान रहकर बुरे कार्योँ से दूर रहेँ । बशर्ते अखबारोँ का यह कृत्य पीत पत्रकारिता से दुष्प्रेरित न हो ।
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