Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
तेरी यादों के चिरागों को दिल में हम जलाएं है
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है
अफ़सोस तो इस बात का है साथी तू बिछड़ गया
अपने किये वादों से 'मितवा' तू मुकर गया
भूल गए सारे ओ त्याग, जो तुम्हें पाने में किये
ना पता ना ठिकाना ऐसे ही निकल गये
मील गयी साथी जो मंजिल, तो हँसते हुए चल दिए
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म दिए है
एक दिन तुम यूं छोड़ जाओगे, मैंने कभी सोचा नहीं
मेरे प्यार को तुम फर्ज समझोगे ऐ कभी सोचा नहीं
एक पल की भी देरी ना की मेरे दिल को जलाने में
सायद मुझे वक्त लग जाए मुझे तुम्हें भुलाने में
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है
मेरे होठो की हंसी छिन पलकों पर आँसूं दिए
किसी और की कुशियों में, अपनी पलके बिछा दिए
तेरे होठो की गर्म साँसे जो थी सिर्फ मेरे लिए
आज ओ साँसें किसी और की सरगम बनी
मेरी रातों की नीद गयी दिल की तडपन बठी
सीने से लगा तू आज किसी को चैन से सुला रही
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जख्म जो तुम दिए
|