सांता क्लॉज़ से जुड़ी मान्यता
ऐसी मान्यता है कि साल भर सांता क्लोज़ और मिसिज क्लोज़ बच्चों के लिए,
खिलौने, कुकी, केक, पाई, बिस्कुट, केंडी तैयार करवाते हैं।
इसके बाद सेंटा क्लॉज़ उपहार को एक बड़ी सी झोली में भरकर वो क्रिसमस के पहले की रात यानी 24 दिसंबर को अपने 8 उड़ने वाले रेनडियर वाले स्लेज पर बैठकर किसी बर्फीले जगह से आते हैं और चिमनियों के रास्ते घरों में प्रवेश करके सभी अच्छे बच्चों के लिए उनके सिरहाने उपहार छोड़ जाते हैं।
सांता के रेंडीयरों के नाम हैं, ‘‘रुडोल्फ़, डेशर, डांसर, प्रेन्सर, विक्सन, डेंडर, ब्लिटज़न, क्युपिड और कोमेट’’।
सान्ता क्लोज़ ख़ास तौर से क्रिसमस के त्यौहार में बच्चों को खिलौने और तोहफे बांटने ही तो उत्तरी ध्रुव पर आते हैं बाकि का समय वे लेप लैन्ड, फीनलैन्ड में रहते हैं।
बहुत बरसों पहले की बात है जब साँता क्लोज और उनके साथी और मददगार एल्फों की टोली ने जादू की झिलमिलाती धूल, रेंडीयरों पर डाली थी उसी के कारण रेंडीयरों को उडना आ गया।
सिर्फ क्रिसमस की रात के लिये ही इस मैजिक डस्ट का उपयोग होता है और सान्ता क्लोज़ अपना सफर शुरू करे उसके बस कुछ लम्होँ पहले मैजिक डस्ट छिड़क कर, शाम को यात्रा का आरम्भ किया जाता है।
और बस फुर्र से रेंडीयरों को उडना आ जाता है और वे क्रिसमस लाईट की स्पीड से उड़ते हैं, बहुत तेज।
बच्चे जो उनका इन्तजार कर रहे होते हैं। हर बच्चा, दूध का गिलास और 3-4 बिस्कुट सांता के लिए घर के एक कमरे में रख देता है।
जब बच्चे गहरी नींद में सो जाते हैं और परियां उन्हें परियों के देश में ले चलती हैं,
उसी समय सांता जी की रेंडीयर से उडने वाली स्ले हर बच्चे के घर पहुँच कर तोहफा रख फिर
अगले बच्चे के घर निकल लेती है।