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Old 24-12-2014, 09:38 PM   #5
DevRaj80
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Default Re: हैप्पी क्रिसमस डे : सांता क्लॉज :देवराज के 

संत निकोलस
संत निकोलस




सांता क्लॉज़ शब्द की उत्पति डचसिंटर से हुई थी।


सांता क्लॉज़ की प्रथा संत निकोलस ने चौथी या पांचवी सदी में शुरू की।


माना जाता है कि सांता का घर उत्तरी ध्रुव में है और वे उड़ने वाले रेनडियर्स की गाड़ी पर चलते हैं। सांता का यह आधुनिक रूप 19वीं सदी से अस्तित्व में आया उसके पहले ये ऐसे नहीं थे।



लगभग डेढ़ हज़ार साल पहले जन्मे संत निकोलस को असली सांता और सांता का जनक माना जाता है। हालांकि संत निकोलस और जीसस के जन्म का सीधा संबंध नहीं रहा है फिर भी वर्तमान समय में सांता क्लॉज़ क्रिसमस का अहम हिस्सा हैं। उनके बिना क्रिसमस अधूरा सा लगता है। *



संत निकोलस का जन्म तीसरी सदी (300 ईसा पूर्व) में जीसस की मौत के 280 साल बाद तुर्किस्तान के मायरा नामक शहर में हुआ। वे एक रईस परिवार से थे। उन्होंने बचपन में ही अपने माता-पिता को खो दिया। बचपन से ही उनकी प्रभु यीशु में बहुत आस्था थी। मोनैस्ट्री में पला-बढा निकोलस 17 वर्ष की आयु में पादरी बन गए। वे बड़े होकर ईसाई धर्म के पादरी (पुजारी) और बाद में *एशिया माइनर के बिशप बने। निकोलस बहुत ही दयालु और परोपकारी थे। जरूरतमंदों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। उनका उद्देश्य था कि क्रिसमस और नववर्ष के दिन गरीब-अमीर सभी प्रसन्न रहें। उन्हें बच्चों और नाविकों से बेहद प्यार था। उन्हें गरीब और बेसहारा बच्चों को उपहार देना बहुत अच्छा लगता था। वे अक्सर जरूरतमंदों और बच्चों को उपहार देते थे। संत निकोलस को बच्चों से ख़ास लगाव था वे उन्हें बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से बच्चों को हमेशा उपहार दिया करते थे।



यह बुजुर्ग ईसा का एक समर्पित अनुयाई था। वह ईसा जयंती के दिन किसी भी व्यक्ति को धन की कमी के कारण त्योहार मनाने से वंचित नहीं देखना चाहता था। इस कारण वह लाल रंग के विशेष वेशभूषा में (अपना चेहरा छुपा कर) ग़रीबों के घर जाकर खानपान की सामग्री एवं बच्चों के लिये खिलौने बांटा करता था। संत निकोलस अपने उपहार आधी रात को ही देते थे क्योंकि उन्हें उपहार देते हुए नज़र आना पसंद नहीं था। वे अपनी पहचान लोगों के सामने नहीं लाना चाहते थे। इसी कारण बच्चों को जल्दी सुला दिया जाता। आज भी कई जगह ऐसा ही होता है अगर बच्चे जल्दी नहीं सोते तो उनके सांता अंकल उन्हें उपहार देने नहीं आते हैं। निकोलस धनी नहीं था, अत: उसके इस त्याग को देख कर लोग उसे 'संत निकोलस' (सेंट निकोलस) नाम से संबोधित करने लगे। उसकी मृत्यु के बाद उस तरह की वेशभूषा में लोगों को जरूरी सामग्री बांटना कई लोगों की आदत बन गई। ये सब संत निकोलस कहलाये जाते थे। कालांतर में सेंट निकोलस नाम बदल बदल कर 'सांता क्लॉज़' हो गया। कुल मिला कर कहा जाये तो 'सांता क्लॉज़' उसी बात को प्रदर्शित करता है जो ईसा का संदेश था कि हर किसी को अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना चाहिये।
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मेरी चित्रशाला : दिल दोस्ती प्यार ....या ... .

तुमने मजबूर किया हम मजबूर हो गये ,...

तुम बेवफा निकले हम मशहूर हो गये ..

एक " तुम " और एक मोहब्बत तेरी,

बस इन दो लफ़्ज़ों में " दुनिया " मेरी..

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