Re: युद्ध और शांति
तोलस्तोय के लिए युद्ध का अर्थ रणभूमि में होने वाली टक्कर मात्र ही नहीं है| अपने उपन्यास के पात्रों के साथ वह मानव-अस्तित्व का गूढ़ अर्थ खोजते हैं| इस उपन्यास का एक प्रमुख पात्र है प्रिंस आंद्रेई बोल्कोंस्की - कुलीन घराने का महत्वाकांक्षी नौजवान| उसके जीवन का आदर्श है नेपोलियन – एक मामूली घर में जन्मा अफसर, न कोई ऊंची जात, न पात फिर भी अपने साहस के बल पर सम्राट बन गया है| क्या हस्ती है, पूरे-पूरे देशों और जनगण के भाग्य का फैसला कर रहा है - प्रिंस आंद्रेई उस पर विमुग्ध है, मन ही मन ऐसा ही बनने का सपना देखता है और स्वयं सेना में भरती होकर रणभूमि में पहुंच जाता है|... यहां क्या होता है, इसी का वर्णन आप इस अंश में पाएंगे|
एक ओर रूसी-आस्ट्रियाई सेना है और दूसरी ओर फ्रांसीसी सेना| 5 दिसंबर 1805 को ऑस्टरलिट्ज़ के मैदान में उनके बीच पहला मुकाबला होता है|
निर्णायक मुठभेड़ से पहले की रात को कोहरा छाया हुआ था, कोहरे से छानकर आती चांदनी रहस्यमय लग रही थी|
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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