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:
छींटे और बौछार
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22-08-2013, 07:31 PM
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308
jai_bhardwaj
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Re: छींटे और बौछार
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Originally Posted by
rajnish manga
बहुत सुन्दर, जय जी. इस रचना में आपने जीवन का इतना बड़ा सत्य उजागर किया है कि पढ़ कर मन वीणा के तार झंकृत हो गये. कृपया मेरा धन्यवाद और बधाई स्वीकार करें.
बहुत बहुत आभार बन्धु।
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।
कभी कभी -->
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