Re: दोस्तों की "चौपाल".
Quote:
Originally Posted by dark saint alaick
रा- राक्षस की तरह
ज- जनता के खून की
नि- निचोड़ ले एक-एक बूंद
ती- तीखे दांतों से अपने।
यह कैसा रहा मलेठियाजी !
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नमस्कार अलैक्क जी।.........
ये तो लाजवाब है .....
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मांगो तो अपने रब से मांगो;
जो दे तो रहमत और न दे तो किस्मत;
लेकिन दुनिया से हरगिज़ मत माँगना;
क्योंकि दे तो एहसान और न दे तो शर्मिंदगी।
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