Re: समाज का गिरता हुआ स्तर-जिम्मेदार कौन ?
कल एक एपीसोड सावधान इंडिया का देखा तो अपने आप को भारत-वासी कहने मे शर्म मेहसूस हो रही है...!!
एक लडकी को उसका सगा मामा अपने साथ शहर ले आया और उसके साथ कुकर्म करता रहा और फिर एक दिन जब उसने ज्यादा रोना पीटना किया तो उसे किसी दलाल के हाथो बेच दिया...फिर उस दलाल ने भी उसके साथ कुकर्म किया और उसको अपने दोस्तो के सामने भी कुकर्म के लिये पेश कर दिया, इस कडी मे वो लडकी अनगिनत बार कुकर्म का शिकार हुयी और इस दौरान उसे पुलिस वालो के सामने भी परोसा गया और उन्होने भी उसके साथ कई बार कुकर्म किया..और उन्होने अपने सीनियर अधिकारी के सामने भी उसे इस कुकर्म के लिये पेश किया और उस सीनियर अधिकारी ने भी उसके साथ कुकर्म किया..
वो किसी तरह भाग निकली और किसी की सहायता से केस अदालत तक पहुंचा तो समस्या ये खडी हुयी कि लड्की हिन्दी नहीं बोल सकती ठीक इसलिये उसके लिये दोभाषिये की व्यवस्था की गयी..दोभाषिये के रूप मे जो औरत उसे नसीब हुयी उसने उसके दर्द को समझा और उसे पता चला कि उसका वकील भी अपराधियो से मिला हुआ था क्योंकि पुलिस और उनके एक उच्च अधिकारी भी इसमे शामिल थे...!!
उस दोभाषिये ने उसका पूरा स्टेटमेन्ट उसके वकील को बिना बताये सीधा कोर्ट मे ही सुनाया तो वकील ने अगली डेट ले ली और उस दौरान उस दोभाषी औरत को और उसके लड्की और उसके पति को पुलिस के अधिकारी लोगो ने गुन्डो की तरह देख लेने और उसकी लडकी के साथ भी उसी तरह बलात्कार करने की धमकी दी...!!
उस दोभाषी बनी हुयी औरत ने फिर भी हिम्मत से काम लिया और उस वकील की शिकायत करते हुये..पूरी सुनवाइ होने तक केस को सुने जाने की अपील की...और मामले की तह खुलती देख वकील ने नाटक किया पर सुनवाइ पूरी हुयी और उसकी मेडिकल जांच के लिये उसे पुलिस के संरक्षण मे दिया गया और इस दौरान उस दोभाषी औरत को उसके घर मे घुस कर पुलिस वालो ने गम्भीर धमकिया दी...और उस औरत के पति ने उसे इस केस से हट जाने के लिये कहा..और उसने उस केस से हटने की बात स्वीकार कर ली...
पर जब उसे पता चला कि पुलिस कस्टडी मे इस दौरान भी उसके साथ बलात्कार होता रहा और उसे अपना वयान बदलने के लिये कहा जाता रहा...तो उसने उस केस से हटने का निर्णय बदल कर फिर से इस केस को अपने सामने ही अंजाम तक पहुंचाने के रास्ते पर डटे रहने का निश्चय किया...!!
इस दौरान इन जज महाशय ने उसे पुलिस कस्टडी से हटा कर ज्यूडिशियल कस्टडी मे दे दिया...और इसी के तुरंत बाद इन जज साहब का तबादला हो गया..!! और पुलिस ने नये जज से विनती करके उसे फिर से पुलिस कस्टडी मे ले लिया...पर नये वकील और नये जज और उस दोभाषी औरत ने इस केस को इसके अंजाम तक पहुंचाया और उस लडकी की शिनाख्त पर उसका मामा, वो दलाल, वो पुलिस वाले और वो पुलिस का सीनियर अधिकारी सभी सलाखो के पीछे भेजे जा सके...!!
इस पूरे प्रकरण को देख कर एक ही बात समझ मे आयी कि हमारी पुलिस गुंडो से भी बदतर हो चुकी है..और किसी को नयाय मिलना एक संयोग मात्र ही रह गया है..क्योकि सारा का सारा तंत्र बेसहारा के खिलाफ खडा है..और अगर वो दोभाषी औरत इनके धमकियो मे आ जाती ( जिसकी की पूरी सम्भावना थी..) तो लडकी को कभी भी नयाय नहीं मिल पाता...!! और पता नही कितने ही ऐसे केस दम तोड चुके होंगे...??
चिंताजनक बात ये है कि ऐसे मामा, ऐसे दलाल, ऐसे वकील, ऐसे पुलिस वाले और उनके उच्च अधिकारी जिनके उपर उस लडकी की रक्षा का भार था, भक्षक बने हुये है..और समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुये है..क्योंकि उस दोभाषी औरत के जितनी हिम्मत जुटा पाना एक बडे से बडे हिम्मतवाले इंसान के लिये बहुत कठिन कार्य है क्योंकि उसे पता है कि उसकी रक्षा करने वाले भी यही लोग है जो कि पहले से ही भक्षक बन चुके है...!!
इस पूरे प्रकरण मै गर्व करने लायक कोइ पहलू है तो दोनो जजो का न्याय के प्रति कठोर कमिटमेंट और उस दोभाषी औरत की इन कठिन परिस्थिति मे दिखायी गयी बेमिसाल हिम्मत..!!
मेरे लिये तो ऐसी औरतो को भारत रत्न माना जाना चाहिये...!
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