Re: डार्क सेंट की पाठशाला
सबसे बड़ा ज्ञानी
मनुष्य को कभी अपने ज्ञान पर घमंड नहीं करना चाहिए। यदि कोई ऐसा करता है, तो वह महाज्ञानी होने के बावजूद भी दुनिया के सामने साधारण ही हो जाता है। बहुत पुरानी कथा है। यूनान में एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के लिए जगह-जगह भटक रहा था। वह चाहता था कि उसे कोई ऐसा शख्स मिले, जो उसे ज्ञान दे सके। वह एक संत के पास पहुंचा। उसने संत को प्रणाम किया। कुछ देर झिझकने के बाद उनसे कहा - महात्माजी, मेरे जीवन में कुछ प्रकाश हो जाए, ऐसा कुछ ज्ञान देने की कृपा करें। मैं कई जगह घूमा, पर कामयाब नहीं हो पाया हूं। इस पर संत ने उससे कहा - भाई, मैं तो एक साधारण व्यक्ति हूं। मेरी क्या हैसियत है। मैं भला तुम्हें क्या ज्ञान दूंगा। यह सुन कर उस व्यक्ति को बहुत हैरानी हुई। उसने कहा - ऐसा कैसे हो सकता है। मैंने तो कई लोगों से आपके बारे में सुना है और उसके बाद ही मैने यहां आने का निर्णय किया है। इस पर संत बोले - एक काम करो। तुम्हें अगर ज्ञान चाहिए, तो सुकरात के पास चले जाओ। वही तुम्हें सही ज्ञान दे सकेंगे। वे ही यहां के सबसे बड़े ज्ञानी हैं। कुछ देर बाद वह व्यक्ति सुकरात के पास पहुंचा और बोला - महात्माजी, मुझे पता लगा है कि आप सबसे बड़े ज्ञानी हैं। मुझे आपसे ज्ञान चाहिए। इस पर सुकरात मुस्कराए और उन्होंने पूछा कि यह बात उससे किसने कही है। उस व्यक्ति ने उस महात्मा का नाम लिया और कहा - अब मैं आपकी शरण में आया हूं। इस पर सुकरात ने जवाब दिया - तुम उन्हीं महात्माजी के पास चले जाओ। मैं तो साधारण ज्ञानी भी नहीं हूं, बल्कि मैं तो अज्ञानी हूं। यह सुनने के बाद वह व्यक्ति फिर उस संत के पास पहुंचा। उसने संत को सारी बात कह सुनाई। इस पर संत बोले - भाई, सुकरात जैसे व्यक्ति का यह कहना कि मैं अज्ञानी हूं, उनके सबसे बड़े ज्ञानी होने का प्रमाण है। जिसे अपने ज्ञान का जरा भी अभिमान नहीं होता, वही सच्चा ज्ञानी है। उस व्यक्ति ने इस बात को अपना पहला पाठ मान लिया। ज़ाहिर है कि उसने ज्ञान की राह पर मज़बूत कदम बढ़ाने शुरू कर दिए थे।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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